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दुनिया का जो तौर है उसी तौर से देखा

 दुनिया का जो तौर है उसी तौर से देखा, हर शख्स मतलबी है हर और से देखा। उसूलों पर चलना मुश्किल मगर जो अडे़ है, मुकद्दर बदल देते है हमने हर दौर से देखा। ऐसे इश्क में देना जान भी गुनाह नही लगता, वैसे तोडना फूल भी जफा़ है जो जौर से देखा। जिनको समझा था पारस सर पे सजाया था, निकला महज एक पत्थर जब गौर से देखा। कोई खास फर्क नही किनारे और मंजिल में, सारा मजा बीच में है मैंने दोनोंं छोर से देखा। सियासत अपनी जिद्द में जंग तक करवा सकती है, वजी़र रहते है सिपाही मरते है हर और से दैखा। तुम्हारे सारे शेर किसी एक रंग के नही लगते 'शक्ति', मगर हाँ सीख जरूर मिलती है जब गौर से देखा। ✍️ दशरथ रांकावत 'शक्ति'




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